Agriculture Subsidy Scheme: कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों से जोड़ने के लिए एक नई योजना का आरंभ किया है। इस पहल के अंतर्गत चयनित कृषि मशीनरी खरीदने पर किसानों को 50% तक आर्थिक सहायता (सब्सिडी) प्रदान की जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि किसान पारंपरिक खेती के स्थान पर अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग करें, ताकि कम समय और कम श्रम में बेहतर पैदावार प्राप्त की जा सके। इस सब्सिडी योजना में सुपर सीडर, स्ट्रॉ रीपर, हे रैक और मास्टर स्ट्रॉबलर जैसे कई आधुनिक यंत्रों को शामिल किया गया है।
योजना का फायदा उठाने के लिए किसानों को राज्य सरकार की अधिकृत वेबसाइट पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होगा। इच्छुक किसान आखिरी तारीख 25 अगस्त तक अपना आवेदन जमा कर सकते हैं। पात्र किसानों की सूची ज़िला स्तर पर कार्यकारी समिति द्वारा तैयार की जाएगी, जिसकी अध्यक्षता डीसी (उपायुक्त) करेंगे। सभी चयन प्रक्रिया पूर्णतः निष्पक्ष, पारदर्शी और ड्रॉ सिस्टम के माध्यम से होगी ताकि हर किसान को बराबर अवसर मिल सके।
पात्रता की मुख्य शर्तें
योजना का लाभ उन्हीं किसानों को मिलेगा जिनका नाम ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर रबी व खरीफ 2025 सीजन के लिए दर्ज है। इसके अतिरिक्त हरियाणा राज्य में वैध बैंक खाता होना अनिवार्य है। आवेदन करते समय किसान के पास ट्रैक्टर की आरसी, आधार कार्ड, पैन कार्ड, परिवार पहचान पत्र और सक्रिय मोबाइल नंबर होना जरूरी है। यदि दस्तावेज अधूरे होंगे तो आवेदन रिजेक्ट किया जा सकता है।
आवेदन पत्र के साथ किसान को यह शपथ पत्र भी जमा करना होगा कि उसने पराली नहीं जलाई है और पिछले तीन वर्षों में किसी प्रकार की कृषि मशीनरी पर सब्सिडी नहीं ली है। इसका उद्देश्य वास्तविक पात्र किसानों को ही सहायता देना है।
सब्सिडी की प्रक्रिया
सभी दस्तावेज सही पाए जाने पर किसान का नाम चयन सूची में जोड़ दिया जाएगा। चयन के बाद किसान अपनी पसंद का उपकरण खरीद सकते हैं, जिसकी कीमत का आधा हिस्सा किसान खुद देगा और बाकी 50% सब्सिडी सरकार सीधा उनके बैंक खाते में भेजेगी। इससे मशीन खरीदना काफी आसान और कम खर्चीला हो जाएगा।
इस योजना से किसानों को नई तकनीक प्राप्त होगी जिससे कार्यक्षमता और उत्पादकता में सुधार होगा। आधुनिक मशीनों से समय और श्रम की बचत होती है, जिससे लागत कम हो जाएगी और मुनाफा बढ़ेगा। सरकार का मानना है कि ऐसी योजनाएं किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाने में मदद करेंगी।