Bank Close News: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) देश की बैंकिंग प्रणाली की निगरानी करता है और अगर कोई बैंक लगातार नियमों का उल्लंघन करता है या आर्थिक रूप से कमजोर हो जाता है तो उसका लाइसेंस रद्द करना भी पड़ सकता है। हाल ही में RBI ने महाराष्ट्र के दो सहकारी बैंकों का लाइसेंस रद्द कर दिया है। इसके बाद उन ग्राहकों के मन में काफी चिंता है।
इन दोनों बैंकों की वित्तीय हालत काफी कमजोर हो चुकी थी और इनके पास पर्याप्त पूंजी नहीं बची थी। भविष्य में सुधार की संभावना भी न के बराबर थी, इसलिए RBI ने इनका परिचालन बंद करने का निर्णय लिया।
क्या आपका पैसा सुरक्षित है?
लोग स्वाभाविक रूप से घबरा जाते हैं कि कहीं उनकी जीवनभर की कमाई न डूब जाए। लेकिन यह जानकर राहत मिलेगी कि भारत में जमा राशियों को DICGC (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) द्वारा सुरक्षित किया जाता है। यह संस्था RBI के अधीन काम करती है और खाताधारकों को एक निश्चित सीमा तक राशि वापस दिलाती है।
कितनी राशि सुरक्षित है?
- प्रत्येक खाताधारक को अधिकतम ₹5 लाख तक का बीमा लाभ मिलता है
- इसमें खाता में जमा राशि + ब्याज दोनों शामिल होते हैं
- अगर किसी व्यक्ति के खाते में ₹4 लाख हैं, तो उसे पूरी राशि मिल जाएगी
- अगर राशि ₹8 लाख या ₹10 लाख है, तो अधिकतम ₹5 लाख ही वापस मिलेंगे
राशि वापस लेने की प्रक्रिया क्या है?
खाताधारकों को कुछ जरूरी दस्तावेज जमा करने होते हैं, जिनके आधार पर क्लेम स्वीकृत होता है:
- आधार कार्ड और पैन कार्ड
- बैंक पासबुक या खाता संख्या संबंधी दस्तावेज
- बैंक द्वारा दिया गया दावा फॉर्म
दस्तावेज सत्यापन के बाद, तय प्रक्रिया के अनुसार पैसा खाताधारक को भेज दिया जाता है।
ग्राहकों के लिए ज़रूरी सावधानियाँ
- अफवाहों से बचें – बैंक बंद होने का मतलब यह नहीं कि आपका पैसा पूरी तरह खत्म हो गया
- बैंक की सूचनाएं देखते रहें
- दस्तावेज समय पर तैयार रखें ताकि भुगतान प्रक्रिया में देरी न हो
- बीमा सीमा को समझें – ₹5 लाख तक का पैसा सुरक्षित है
बैंक आखिर क्यों बंद होते हैं?
कई बार बैंक खराब प्रबंधन, लगातार घाटे, नियमों के उल्लंघन, या खर्चों को नियंत्रित न कर पाने की वजह से अस्थिर हो जाते हैं। ऐसे मामलों में RBI को ग्राहकों के हितों में हस्तक्षेप करना पड़ता है।
यह घटना बताती है कि अपनी पूरी पूंजी एक ही बैंक में रखना सही नहीं है। धन का विभाजन और थोड़ा वित्तीय जागरूक रहना बेहद जरूरी है, ताकि जोखिम कम किया जा सके।