Railway Ticket Discount: भारतीय रेलवे लंबे समय से बुजुर्ग यात्रियों के लिए सबसे भरोसेमंद और किफायती परिवहन साधन माना जाता रहा है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए रेल सेवा आज भी जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। कम आय वाले ऐसे बहुत से लोग ट्रेन की यात्रा को सस्ता, आरामदायक और सुविधाजनक मानते हैं। कोरोना महामारी से पहले तक वरिष्ठ नागरिकों को रेलवे टिकट पर दी जाने वाली छूट उनके बजट के लिए बहुत फायदेमंद होती थी।
बढ़ती सार्वजनिक मांग
रियायत बंद होने के बाद से देशभर में बुजुर्गों की ओर से यह मांग उठ रही है कि टिकट छूट सुविधा को फिर से शुरू किया जाए। विभिन्न सामाजिक संगठनों और सेवानिवृत्त नागरिक मंचों ने इस विषय को एक बार फिर सरकार के सामने प्रस्तुत किया है। हाल ही में एक संसदीय समिति ने भी सुझाव दिया है कि रेलवे को यह रियायत फिर से बहाल करनी चाहिए। यदि ऐसा होता है, तो लाखों वरिष्ठ नागरिकों को राहत मिलेगी और वे फिर से कम खर्च में सफर कर सकेंगे।
रेल मंत्री ने संसद में बताया था कि रेलवे प्रत्येक यात्री पर कुल मिलाकर लगभग 46% तक सब्सिडी पहले से देता है। ऐसे में यदि वरिष्ठ नागरिकों की छूट वापस शुरू की जाती है, तो इससे रेलवे पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव पड़ सकता है। हालांकि, मौजूदा समय में यात्री संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और रेलवे की आय भी बेहतर हुई है। इसलिए उम्मीद है कि सरकार जल्द इस विषय पर सकारात्मक कदम उठा सकती है।
पहले मिलने वाली छूट का स्वरूप
पहले नियमों के अनुसार 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के पुरुषों को 40% तक और 58 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिलाओं को 50% तक किराए में छूट मिलती थी। यह लाभ स्लीपर से लेकर एसी कोच तक लागू रहता था। इस सुविधा से बुजुर्गों को इलाज, पर्यटन, धार्मिक यात्रा या पारिवारिक कारणों से बिना अधिक खर्च किए यात्रा करने में काफी मदद मिलती थी।
सामाजिक दृष्टि से इसका महत्व
रेल टिकट रियायत केवल आर्थिक सहायता नहीं है, बल्कि यह बुजुर्गों को सम्मान और आत्मविश्वास भी देती है। रियायत हटने के बाद कई वरिष्ठ नागरिकों ने यात्राएँ कम कर दीं क्योंकि किराया उनके बजट से बाहर हो गया। अब जबकि रेलवे सेवाएँ लगभग सामान्य हो गई हैं, यह अपेक्षा की जा रही है कि वरिष्ठ नागरिकों की छूट जल्द बहाल की जाए।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए टिकट रियायत एक बार फिर लागू करना न केवल सामाजिक दायित्व है बल्कि समय की आवश्यकता भी बन गया है। इससे बुजुर्ग फिर से किफायती और सम्मानजनक यात्रा कर पाएंगे तथा सरकार की लोककल्याणकारी सोच भी स्पष्ट होगी।